!! मुक्तक !!
अक़ल्मंदी हमारे नाम के पहले नहीं जुड़ती
मगर भोले नहीं इतने कि जितने आम दिखते हैं ,
हमें हस्ताक्षर करना न आया चैक पर माना,
मगर दिल पर बड़ी कारीगरी से नाम लिखते हैं !
पंडित रामावतार त्यागी
" श्री विष्णु षोडषनाम "
औषधे चिन्तये विष्णु , भोजने च जनार्दनम
शयने पद्म्नाभम च , विवाहे च प्रजापतिम
नारायणं तनुत्यागे, श्रीधरे प्रियसंगमे
दु:स्वप्ने समर: गोविंदम , संकटे मधुसुदनम
कानने नारसिंघम च, पावके जलशायिनम
जल मध्ये वराहं च ,पर्वते रघुनंदनम
गमने वामनं चैव , सर्व कार्येषु माधवं !